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Monday, December 23, 2024
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विधायक तिलक राज बेहड़ ने आज शुक्रवार को देहरादून विधानसभा सत्र में नियम 300 के अंतर्गत बाजपुर क्षेत्र के किसानों की 20 गांव की जमीन का उठाया मुद्दा

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मुकेश कुमार संवाददाता/अमन केसरी न्यूज़

 

किच्छा  :-  किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ ने आज शुक्रवार को देहरादून में विधानसभा सत्र में नियम 300 के अंतर्गत सूचना के तहत बाजपुर क्षेत्र के किसानो की 20 गाँव की ज़मीन जिसके साथ 50 प्रतिशत नगर बाजपुर का क्षेत्र भी आता है। सूद परिवार का सन 1920 में ब्रिटिश हुकूमत के समय लाला खुशीराम को 4820 एकड़ भूमि लीज पर दी गयी थी। जिसमे लाला खुशीराम को उनके वारिसानो को उसको आगे उप लीज दिए जाने का अधिकार सरकार से प्राप्त था। ऐसे में खुशीराम के स्वजनों ने हजारो एकड़ भूमि विभिन्न ग्राम सभाओं को सब लीज पर दे दी। इसके तहत वर्ष 2013 तक का सभी को अधिकार भी दिया गया था।

फ़रवरी 2020 को तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल ने जमीन की बिक्री पर रोक लगा दी। और पूरी जमीन का मालिकाना अधिकार भी छीन लिया गया। रोक के आदेश होने से लगभग 10 हजार लोगो की नींद हराम हो गई और लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस करने लगे।

ब्रिटिश हुकूमत ने गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत जनपद ऊधमसिंह नगर के 35 ग्रामो में से 20 ग्राम बाजपुर व 15 ग्राम खटीमा व किच्छा में जमीने लीज पर दी गयी।

पूरे प्रदेश के अंदर भय का वातावरण बना हुआ है। लोगो की दिन रात की नींद ख़राब हो चुकी है। दहशत लोग अपना जीवन यापन कर रहे है। पिछले एक माह से वहां के स्थानीय लोगो द्वारा बाजपुर बचाओ भूमि बचाओ आंदोलन चलाया जा रहा है। सरकार किसानो की कोई चिंता नहीं कर रही है। इस कारण कभी भी जनपद का क्षेत्र का वातावरण ख़राब हो सकता है। क़ानून व्यवस्था को लेकर भी स्थिति ख़राब हो सकती है। किसान अपने मालिकाना हक़ को लेकर और बड़ा आंदोलन अपनी जमीनों को लेकर कर सकते है।

तराई में जमीनों के मालिकाना हक़ को लेकर अति असंतोष सरकार के खिलाफ व्याप्त है। आने वाले समय में किसान सड़को पर उतरकर संघर्ष का भी एलान कर सकते हैं।

अगर सरकार द्वारा पुनः मालिकाना हक़ नहीं दिया जाता है तो जनता का विश्वास सरकार से उठ जायेगा। तराई की अनेको जमीने ऐसी हैं जिनके मालिकाना हक़ को लेकर कई बार अधिकार देने की बात हुई है। वर्ग -४ हो या ग्राम की जमीन हो या सिचाईं या वन विभाग की नदी नालो की जमीने ही अधिकारों को लेकर समय समय पर आंदोलन चलाये जाते है। अधिकार मिलते ही नहीं फाइलों में कार्यवाही चलती रहती है। आज किसान जो हमारा अन्नदाता है वह असुरक्षित है। किसान खुशहाल नहीं होगा तो प्रदेश व देश कैसे खुशहाल होगा।

विधायक बेहड़ ने विधानसभा अध्यक्षा जी से अपील करते हुए कहा की मैं इस तत्कालीन/अवलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर नियम 300 के तहत सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं |

विधानसभा अध्यक्षा ने नियम 300 के तहत स्वीकार किया तथा सरकार को निर्देश दिए.

खबर व विज्ञापन के लिए संपर्क करें

मो .8218474080

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किच्छा  :-  किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ ने आज शुक्रवार को देहरादून में विधानसभा सत्र में नियम 300 के अंतर्गत सूचना के तहत बाजपुर क्षेत्र के किसानो की 20 गाँव की ज़मीन जिसके साथ 50 प्रतिशत नगर बाजपुर का क्षेत्र भी आता है। सूद परिवार का सन 1920 में ब्रिटिश हुकूमत के समय लाला खुशीराम को 4820 एकड़ भूमि लीज पर दी गयी थी। जिसमे लाला खुशीराम को उनके वारिसानो को उसको आगे उप लीज दिए जाने का अधिकार सरकार से प्राप्त था। ऐसे में खुशीराम के स्वजनों ने हजारो एकड़ भूमि विभिन्न ग्राम सभाओं को सब लीज पर दे दी। इसके तहत वर्ष 2013 तक का सभी को अधिकार भी दिया गया था।

फ़रवरी 2020 को तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल ने जमीन की बिक्री पर रोक लगा दी। और पूरी जमीन का मालिकाना अधिकार भी छीन लिया गया। रोक के आदेश होने से लगभग 10 हजार लोगो की नींद हराम हो गई और लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस करने लगे।

ब्रिटिश हुकूमत ने गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत जनपद ऊधमसिंह नगर के 35 ग्रामो में से 20 ग्राम बाजपुर व 15 ग्राम खटीमा व किच्छा में जमीने लीज पर दी गयी।

पूरे प्रदेश के अंदर भय का वातावरण बना हुआ है। लोगो की दिन रात की नींद ख़राब हो चुकी है। दहशत लोग अपना जीवन यापन कर रहे है। पिछले एक माह से वहां के स्थानीय लोगो द्वारा बाजपुर बचाओ भूमि बचाओ आंदोलन चलाया जा रहा है। सरकार किसानो की कोई चिंता नहीं कर रही है। इस कारण कभी भी जनपद का क्षेत्र का वातावरण ख़राब हो सकता है। क़ानून व्यवस्था को लेकर भी स्थिति ख़राब हो सकती है। किसान अपने मालिकाना हक़ को लेकर और बड़ा आंदोलन अपनी जमीनों को लेकर कर सकते है।

तराई में जमीनों के मालिकाना हक़ को लेकर अति असंतोष सरकार के खिलाफ व्याप्त है। आने वाले समय में किसान सड़को पर उतरकर संघर्ष का भी एलान कर सकते हैं।

अगर सरकार द्वारा पुनः मालिकाना हक़ नहीं दिया जाता है तो जनता का विश्वास सरकार से उठ जायेगा। तराई की अनेको जमीने ऐसी हैं जिनके मालिकाना हक़ को लेकर कई बार अधिकार देने की बात हुई है। वर्ग -४ हो या ग्राम की जमीन हो या सिचाईं या वन विभाग की नदी नालो की जमीने ही अधिकारों को लेकर समय समय पर आंदोलन चलाये जाते है। अधिकार मिलते ही नहीं फाइलों में कार्यवाही चलती रहती है। आज किसान जो हमारा अन्नदाता है वह असुरक्षित है। किसान खुशहाल नहीं होगा तो प्रदेश व देश कैसे खुशहाल होगा।

विधायक बेहड़ ने विधानसभा अध्यक्षा जी से अपील करते हुए कहा की मैं इस तत्कालीन/अवलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर नियम 300 के तहत सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं |

विधानसभा अध्यक्षा ने नियम 300 के तहत स्वीकार किया तथा सरकार को निर्देश दिए.

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