मुकेश कुमार संवाददाता/अमन केसरी न्यूज़
रुद्रपुर : स्मोकिंग यानी धूम्रपान एक ऐसी लत है, जो लग जाए तो आसानी से छूटती नहीं है. छूटती भी है तो बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है. लेकिन इसका एक ऐसा इलाज जिसमें बिना किसी दवाई और सर्जरी के ही स्मोकिंग की लत छूट जाती है. इस ट्रीटमेंट का नाम है डीप ट्रांसक्रेनियल मेग्नेटिक स्टिमुलेशन (डीप टीएमएस) जो ख्वाबों को सच्चाई में बदल रही है. इसके बारे में तुलसी हेल्थ केयर के फाउंडर व डायरेक्टर डॉक्टर गौरव गुप्ता ने विस्तार से जानकारी दी है.
डीप टीएमएस की मदद से साइकेट्री, न्यूरोलॉजी और पेन मेडिसिन के क्षेत्र में काफी क्रांति आई है, जिससे परंपरागत थेरेपी की तुलना में एक सुरक्षित और प्रभावशाली इलाज मिल रहा है. इस लेख में हम समझेंगे कि डीप टीएमएस से पीछे का विज्ञान क्या है और ये कैसे किसी को स्मोकिंग की लत से बाहर निकालता है.
क्या है डीप टीएमएस?
डीप ट्रांसक्रेनियल मेग्नेटिक स्टिमुलेशन (डीप टीएमएस)एक बहुत ही क्रांतिकारी और नॉन इनवेसिव प्रक्रिया जिसमें थेरेपी और डायग्नोज के मकसद से ब्रेन के स्पेसिफिक एरिया को स्टिमुलेट किया जाता है. ब्रेन के टारगेटेड एरिया में इसकी मदद से न्यूरॉन्स की रिपेयरिंग की जाती है जिससे डिप्रेशन और अन्य दिमागी बीमारियों में राहत मिलती है. स्टडी से पता चलता है कि डीप टीएमएस प्रक्रिया से गुजरने वाले करीब 75 फीसदी मरीजों में कुछ हद तक सुधार होता है जबकि उनमें से आधे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं.
स्टैंडर्ड टीएमएस और डीप टीएमएस में अंतर
डीप टीएमएस और स्टैंडर्ड टीएमएस की तुलना की जाए तो अंतर साफ नजर आता है. डीप टीएमएस में ब्रेन के अंदर टारगेटेड एरिया पर ज्यादा स्टिमुलेशन हो पाता है, जिसका बीमारी से राहत देने में ज्यादा असर होता है. इस प्रक्रिया में स्पेशल कॉइल का उपयोग किया जाता है जो ब्रेन पर ज्यादा गहराई और ज्यादा एरिया तक स्टिमुलेट करता है. द यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) भी स्मोकिंग के मामले में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए डीप टीएमएस के इस्तेमाल को मंजूरी दे चुका है.ॉ
डीप टीएमएस में स्कैल्प यानी खोपड़ी से एक मैग्नेटिक कॉइल अटैच की जाती है जिसे किसी इलेक्ट्रिक पल्स जनरेटर या स्टिमुलेटर से जोड़ा जाता है. इससे कॉइल में इलेक्ट्रिक करंट जाता है जिससे मैग्नेटिक वेव पैदा होती हैं जो दिमाग के टारगेटेड एरिया पर जाकर लगती हैं.
डीप टीएमएस ट्रीटमेंट का अनुभव
डीप टीएमएस इलाज का एक बहुत ही तेज, आरामदायक और सुरक्षित तरीका है. इस प्रक्रिया में मरीज को एक हेलमेट पहनाया जाता है जिसके जरिए ब्रेन के टारगेटेड एरिया तक मैग्नेटिक वेव पहुंचाई जाती हैं. आमतौर पर मरीजों को कोई असुविधा नहीं होती है.
डीप टीएमएस के पीछे न्यूरो साइंस
डीप टीएमएस में ब्रेन के उस एरिया को टारगेट किया जाता है जो आम व्यक्ति की तुलना में डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति के अंदर ज्यादा एक्टिव होता है. यानी इसमें डोरसोलेटरल प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को टारगेट किया जाता है. ब्रेन के इस हिस्से के स्टिमुलेट करके डीप टीएमएस उद्देश्य कॉग्निटिव कंट्रोल को बढ़ाना और डिप्रेशन के लक्षणों को कम करना होता है.
थेरेपी की तुलना में डीप टीएमएस के फायदे
इलेक्ट्रोकंवल्सिव थेरेपी (ईसीटी) की तुलना में डीप टीएमएस एक नॉन इनवेसिव प्रकिया है. इसमें एनेस्थीसिया या सीजर का इस्तेमाल नहीं होता है और बहुत ही कम डाउन टाइम चाहिए होता है. ये प्रक्रिया वॉक-इन की तरह तुरंत पूरी कर ली जाती है. इसके अलावा, डीप टीएमएस में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन किया जाता है क्योंकि इसमें सर्जिकल इलेक्ट्रोड इम्प्लांटेशन की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
स्मोकिंग छुड़ाने के लिए डीप टीएमएस
स्मोकिंग छुड़ाने के लिए डीप टीएमएस एकमात्र नॉन इनवेसिव मेडिकल डिवाइस है जिसे एफडीए की तरफ से मंजूरी प्राप्त है. इसकी मदद से तंबाकू की आदत कम होती है प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और बाइलेटरल इंसुला में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स के द्वारा न्यूरॉन्स को स्टिमुलेट करके कॉग्निटिव कंट्रोल बढ़ाया जाता है. मरीज इस प्रक्रिया को आसानी से सहन कर पाते हैं और अपने डेली रूटीन में इसे शामिल कर लेते हैं, क्योंकि इसके बहुत ही कम साइड इफेक्ट होते हैं.
स्मोकिंग की लत छुड़ाने में डीप टीएमएस एक क्रांतिकारी इलाज साबित हुआ है. ये नॉन इनवेसिव है, इसके साइड इफेक्ट बहुत कम हैं, ज्यादा प्रभावशाली है जिसके चलते डीप टीएमएस परंपरागत थेरेपी लेने वालों के लिए एक बेहतर विकल्प है. अगर आप या आपको कोई करीबी स्मोकिंग की चपेट में है या कोई अन्य दिमागी परेशानी है तो तुलसी हेल्थ केयर पर कंसल्ट किया जा सकता है. तुलसी हेल्थ केयर में हाई स्टैंडर्ड डीप टीएमएस ट्रीटमेंट की सुविधा उपलब्ध है।
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