मुकेश कुमार संवाददाता/अमन केसरी न्यूज़
रुद्रपुर :- समाजसेवी सुशील गावा ने सोमवार को रामनगरी के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू कर दी। सुशील गाबा की मानें तो वह पिछले 14 वर्षों से लगातार रुद्रपुर की मुख्य रामलीला में हनुमान का किरदार निभाते आ रहे हैं। सोमवार को उन्हें आचनक महसूस हुआ की प्रभू श्रीराम बुला रहे हैं। जिसके बाद उन्हें पैदल ही अध्योया जाने का प्रण लें लिया। उन्होंने बताया कि रुद्रपुर से अध्योया की दूरी करीब 480 किलोमीटर है,इस हिसाब से वह प्रतिदिन 35 किलोमीटर की दूरी तय करके 14 दिन प्रभू श्रीराम की नगरी पहुंच जायेंगे। रुद्रपुर पुर निवासी सुशील गाबा का जब भी नाम आता है, युवाओं में जोश आ जाता है। धर्म और समाज सेवा के क्षेत्र में उनका कोई सानी नहीं है। अब से करीब दो वर्ष पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुशील गाबा ने मंच से कहां की राम और हनुमान उनके रोम रोम में बसते हैं। कांग्रेस में रहते उन्हें मंच और कार्यक्रमों जय श्रीराम का उद्घोष करने आजादी नहीं, लेकिन अब वह खुलकर इसका उद्घोष करेंगे। तब से वह जब भी किसी धार्मिक या राजनीतिक कार्यक्रम मे पहुंचे, हर जगह भक्ति में लीन नजर आ आए।जय श्रीराम तो जैसे उनके कण कण में बसे हो, ऐसा प्रतीत होता।
माना जा रहा राम से जुटी उनकी आस्था ही उन्हें रामलला तक खींचकर ले जा रही है। सोमवार को उन्होंने वकायद पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के पुजारी से आर्शीवाद लेकर यात्रा शुरू की है।
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रामभक्त सुशील गावा ने सोमवार को रामनगरी के लिए अपनी पैदल यात्रा की शुरू

मुकेश कुमार संवाददाता/अमन केसरी न्यूज़
रुद्रपुर :- समाजसेवी सुशील गावा ने सोमवार को रामनगरी के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू कर दी। सुशील गाबा की मानें तो वह पिछले 14 वर्षों से लगातार रुद्रपुर की मुख्य रामलीला में हनुमान का किरदार निभाते आ रहे हैं। सोमवार को उन्हें आचनक महसूस हुआ की प्रभू श्रीराम बुला रहे हैं। जिसके बाद उन्हें पैदल ही अध्योया जाने का प्रण लें लिया। उन्होंने बताया कि रुद्रपुर से अध्योया की दूरी करीब 480 किलोमीटर है,इस हिसाब से वह प्रतिदिन 35 किलोमीटर की दूरी तय करके 14 दिन प्रभू श्रीराम की नगरी पहुंच जायेंगे। रुद्रपुर पुर निवासी सुशील गाबा का जब भी नाम आता है, युवाओं में जोश आ जाता है। धर्म और समाज सेवा के क्षेत्र में उनका कोई सानी नहीं है। अब से करीब दो वर्ष पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुशील गाबा ने मंच से कहां की राम और हनुमान उनके रोम रोम में बसते हैं। कांग्रेस में रहते उन्हें मंच और कार्यक्रमों जय श्रीराम का उद्घोष करने आजादी नहीं, लेकिन अब वह खुलकर इसका उद्घोष करेंगे। तब से वह जब भी किसी धार्मिक या राजनीतिक कार्यक्रम मे पहुंचे, हर जगह भक्ति में लीन नजर आ आए।जय श्रीराम तो जैसे उनके कण कण में बसे हो, ऐसा प्रतीत होता।
माना जा रहा राम से जुटी उनकी आस्था ही उन्हें रामलला तक खींचकर ले जा रही है। सोमवार को उन्होंने वकायद पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के पुजारी से आर्शीवाद लेकर यात्रा शुरू की है।
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